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कोविड की लड़ाई में हम क्या कर सकते हैं?

 #भाग_1

कोविड से लड़ने में आज की सबसे बड़ी वैक्सीन है सामाजिक दूरी और मास्क। हमें इस कल्चर को जल्दी से जल्दी अपने हैबिट में अपना लेना चाहिए। अगर हम बात करे भारत की तो भारत में मनुष्य व मवेशियों को मिलाकर विश्व की कुल आबादी का 16% है, जिनको कोरोना होने का खतरा है। बल्कि हमारे देश का कुल भौगोलिक भाग विश्व के सापेक्ष केवल 2.5 प्रतिशत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की जनसंख्या घनत्व कितना अधिक होगा।


हमें पता है हमारे देश की जनसंख्या बहुत है। जिसकी वजह से यह महामारी हमारे यहाँ विकराल रूप धारण करेगी। इसलिए अब हमें स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा जोर देने की आवश्यकता है।


भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की अगर बात की जाए तो हालात बद से बदतर है। पश्चिमी देश जहाँ अपनी जीडीपी का 7-10 % हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करते हैं वही हम केवल 1% ही करते हैं। डब्लूएचओ के मानक के अनुसार प्रति 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए पर हमारे देश में अगर सरकारी और प्राइवेट दोनों डॉक्टर्स को मिला दे तब जाकर 1457 लोगों पर एक डॉक्टर हैं। यही हाल नर्सों का है। जल्दी जल्दी हमें इसे सुदृढ़ करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रो में भी स्वास्थ्य सेवाओं में कार्य कर रही आशा बहनों को नियमित कर उनकी सुरक्षा की गारंटी अब सरकार को लेनी चाहिए। उनकी सुरक्षा के लिए कम से पीपीई किट की उपलब्धता करानी आवश्यक हो गई है।


स्वास्थ्य सेवाओं में हमारी सरकारों की नीति है कि प्राइमरी स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान न देकर स्वास्थ्य बीमा पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हमे कुछ समय के लिए इस नीति को बदलना होगा। स्वास्थ्य बीमा को स्थगित करके उसका सारा वित्त कोविड और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में लगाना चाहिए।


जैसा कि सबको पता है कोविड की लड़ाई में टेस्टिंग की सबसे महती भूमिका है। इसलिए इसे और बढ़ाने की जरूरत है और सितम्बर अंतिम तक लगभग प्रतिदिन 40-50 लाख तक टेस्ट करने की क्षमता पर प्राप्त करनी होगी। जिसमें आरटीपीसीआर, एंटीजन व ट्रूनेट तीनो टेस्ट शामिल हों। टेस्टिंग करने में भी हमें स्मार्ट बनना पड़ेगा। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रो में मैन देखा है कि टेस्ट कर रहे डॉक्टर्स अपना टारगेट पूरा करने के लिए एक ही जगह उन्ही व्यक्तियों का आरटीपीसीआर व एंटीजन दोनों टेस्ट कर लेते हैं। इसलिए वास्तविकता में तो हमे लगता है कि इतना टेस्ट हो रहे हैं परन्तु अंदर की सच्चाई से कोई वाकिफ नही है। कैम्प लगाने पर भीड़ इकठ्ठा होती है और ग्रामीण क्षेत्र में तो खासकर इस पर ध्यान देने की जरूरत हैं क्योंकि इनको अभी भी सोशल डिस्टनसिंग और मास्क कल्चर समझ नही आया है। इसके लिए हमें टेस्टिंग वैन चलाने की जरूरत है। जो एक टोलफ्री नम्बर डायल करने पर घर तक पहुंच कर टेस्ट करे। इससे कई फायदे हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रो में अभी भी अधिकतर लोग सार्वजनिक वाहन का ही प्रयोग करते हैं। इसलिए उनसे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। हमें शहरों में बड़े-बड़े मार्किट को टारगेट में लेकर सभी लोगों का टेस्ट करना होगा, सभी ग्रोशरी और सब्जी वालो कि टेस्टिंग की जानी चाहिए। रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर अन्य प्रदेशों/देशों से आने वाले प्रत्येक नागरिक का एंटीजन टेस्ट किया जाए।


मृत्यु दर कम करने के लिए हमें सबसे आवश्यक वेंटिलेटर। कोविड के लिए देश के महानगरों में लगभग 500 वेंटीलेटर और नगर निगम में लगभग 300 वेंटिलेटर तथा छोटे जनपदों में लगभग 100 वेंटिलेटर के अस्पताल होने चाहिए। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रो में प्रत्येक सीएचसी पर लगभग 10 वेंटिल्टर्स के बेड सुनिश्चित हो। 


कोविड से लड़ने के लिए हमें कोविड पेशेंट वैन ( वेंटिलेटर युक्त ) चलानी होगी जिसमें वेंटिलेटर्स से लेकर दवा व अन्य सभी चिकित्सीय सुविधाएं मुहैय्या हों। ये वैन देश के राज्यों के प्रत्येक जनपदों की प्रत्येक सीएचसी पर कम से कम 10 तो हो ही।


इस समय लोगों में अस्पताल जाने का डर समाया हुआ है। इसे दूर करने के लिए हमें कोविड अस्पतालों को अपने मूल अस्पतालों से अलग करना होगा विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं, बच्चो और बुजुर्गों के लिए। अस्पताल जाने वाले प्रत्येक बीमार व एक तीमारदार की कोविड जांच होनी चाहिए। यह सुविधा इस समय लखनऊ के एसजीपीजीआई में उपलब्ध है। 


इस संबंध में आप अपने सुझाव भी प्रेषित कर सकते हैं।


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