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आखिर क्यों 28 सदस्यीय यूरोपियन यूनियन का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर जा रहा है?


कश्मीर में लगातार तीन माह से चल रही पाबन्दियाँ देश के लोगों को ही नही बल्कि पूरे विश्व के लोगों को चुभ रही है। जिस तरीके से कुछ पत्रकारों ने अंतराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर फैलाई है कि मोदी सरकार कश्मीर की आवाम पर पाबन्दियाँ लगाकर उनका जीना हराम कर रही है और वहाँ पूरी तरह से मानवाधिकारों का उलंघन हो रहा है उससे अंतराष्ट्रीय जगत अभी संतुष्ट नही है। मानवाधिकार आयोग इस बात की कई बार आलोचना भी कर चुका है कि कश्मीरी आवाम के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से ही मोबाइल फोन सेवाओं, लैंडलाइन सेवाओं व इंटरनेट सेवाओं पर बिल्कुल रोक लगी पड़ी थी। अभी हाल ही में केवल लैंडलाइन सेवाओं का चालू किया गया है। धारा 370 हटने के बाद से ही वहाँ मीडिया को जाने की अनुमति नही थी कुछ दिन बाद केवल कुछ मीडिया को जाने की अनुमति दी गई। आज आई रिपोर्ट से भी यह खुलासा हुआ है कि पाबंदियों के चलते कश्मीर में तीन माह में लगभग 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। देश का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीमकोर्ट भी केंद्र सरकार से कह चुका है कि कश्मीर की पाबन्दियाँ समाप्त की जाएँ और वहाँ पहले की तरह सामान्य व्यवस्था की जाए। परन्तु केंद्र सरकार उस पर ध्यान नही दे रही है। इसका असर अंतराष्ट्रीय समुदाय पर भी पड़ रहा था।

पाकिस्तान भी बहुत दिनों से अंतराष्ट्रीय समुदाय में राग अलाप रहा है कि भारत कश्मीर की अवाम के साथ बदसलूकी कर रहा है, मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है व अंतराष्ट्रीय मीडिया को जाने की अनुमति नही दे रहा है। इसलिए मोदी सरकार  एक बार फिर पाकिस्तान को पटखनी देने की योजना बना चुकी है। मोदी सरकार ने कश्मीर की जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए यूरोपियन संघ के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर जाने की अनुमति दे दी है। आज इस प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और यह सभी कल कश्मीर के लिए रवाना होंगे। प्रधानमंत्री मोदी कहा, इस यात्रा से उन्हें क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता की बेहतर समझ मिलेगी। 28 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य बी एन डन ने कहा कि मुझे कश्मीर की जमीनी हकीकत देखना है और  स्थानीय लोगों से बात करना है।

अब अगर यूरोपीयन संघ का 28 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल आकर कश्मीर की स्थिति को बेहतर बता देता है तो अंतराष्ट्रीय जगत में कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की छवि साफ-सुथरी हो जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान समय में कश्मीर की कुछ पाबंदियों को छोड़कर शेष सभी स्थितियां बहुत सामान्य है। इसलिए प्रतिनिधिमंडल के सन्तुष्ठ होंकर आने की संभावना प्रबल है।

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