Skip to main content

कैसा खोखला विकास है, विकास करने की सुगमता बढ़ी है परन्तु रोजगार कम हुए हैं।


जब 2014 में लोकसभा के आम चुनाव होने वाले थे और मोदी को राजग की तरफ से अपना प्रधानमंत्री कैंडिडेट घोषित किया गया था उस समय मोदी ने गुजरात मॉडल के आधार पर 'विकास' को 2014 लोकसभा आम चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा बनाया था और उसी मुद्दे से उनके नेतृत्व में राजग की जीत हुई थी। उस समय विकास एक अहम मुद्दा था। विकास मुद्दे की इतनी अधिक चर्चा हुई थी कि सोशल मीडिया पर मीम तक बनने लगे थे। कभी कहा जाता विकास एक माह का हो गया, कभी कहा जाता विकास दो माह का ही गया तो कभी कहा जाता विकास नौ माह का हो गया।
मोदी विकास के नाम पर 2014 में प्रधानमंत्री बन गए। अपना पहला कार्यकाल पूरा भी कर लिया और 2019 के लोकसभा के  आम चुनाव में जीत भी हासिल कर ली और अभी भी प्रधानमंत्री हैं, तबसे अब तक छः वर्ष पूरे हो गए हैं और निरन्तर विकास हो रहा है। विकास की पराकाष्ठा यहाँ तक पहुँच गई है कि मोदी सरकार ने देश मे व्यापार करने सुगमता में लगभग आधे रैंक की कमी ला दी है। 2014 में भारत व्यापार सुगमता सूचकांक में 150 वीं रैंक के आसपास था और अभी हाल ही में आई रिपोर्ट में 63 वीं रैंक पर है, पिछले वर्ष की 79 वीं रैंक से उसने 14 रैंक में सुधार की है। इससे यह कहा जा सकता है कि भारत में व्यापार करने की सुगमता बहुत बेहतर हुई है। मोदी सरकार ने  इसे और बेहतर बनाने का बीड़ा भी उठा लिया है और इसे 50 वीं रैंक के अंदर लाने का फैसला किया है।

विकास की इस गाथा में सराबोर होने पहले व व्यापार सुगमता में इतनी अपार सफलता के बाद यह जरूर सोचना चाहिए कि हम  रोजगार देने के मामले में इतना पीछे क्यूँ हैं ? देश में बेरोजगारी दर पिछले एक दशक के सबसे निचले स्तर पर चल रही है। देश में आर्थिक सुस्ती के चलते बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ कार्मिकों की छटनी में जुटी हुई हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर में मारुति, टाटा व महिंद्रा जैसी कम्पनियों ने कर्मियों की छटनी कर डाली है। हीरा उद्योग ने भी कार्मिकों की छटनी कर डाली है। इसके आंतरिक अन्य बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी छटनी कर रही हैं। भारत सरकार की लेबर ब्यूरो रिपोर्ट भी यह बताती है कि भारत में बेरोजगारी की दर बढ़ी है। मनरेगा के तहत काम करने वाले कामगारों के लिए भी पिछले कुछ वर्षों में कार्य कम आये हैं।

अभी हाल ही में विश्व भूख सूचकांक, 2019 की रिपोर्ट जारी हुई है जिसमे 192 देशों में भारत 102 वें नम्बर है। भारत अपने पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश से भी पीछे है। इन सूचकांकों के आधार पर आप हुई विकास की स्थिति का जायजा ले सकते हैं। या तो यह सूचकांक गलत रिपोर्ट दे रहें है या तो भारत के सापेक्ष जारी करने वाले संघठन इसका सही आंकलन नही कर पा रहे हैं। क्योंकि अगर देश में व्यापार करने की सुगमता अच्छी हो रही है तो रोजगार में बढोत्तरी होनी चाहिए। देश में गरीब भूखें नही मरने चाहिए।

( इस लेख से सम्बंधित आप अपनी राय कमेंट के माध्यम से भेज सकते हैं,)

Comments