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'लव जिहाद' क्या है? व 'लव जिहाद' के लिए कानून कितना जायज है?

 'लव जिहाद' क्या है? व 'लव जिहाद' पर कानून कितना जायज है? .............................................…. सबसे पहले 'लव जिहाद' को समझते हैं। 'लव' शब्द से आप सभी लोग भलीभांति परिचित हैं। 'जिहाद' एक अरबी शब्द है जिसका तात्पर्य 'संघर्ष' होता है। इस प्रकार प्रेम के लिए किया गया संघर्ष 'लव जिहाद' कहलाता है। परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह समझ नही आ रहा है कि 'लव' जिहाद के लिए किया जा रहा है या 'जिहाद' लव के लिए। इसकी उत्पत्ति के विषय में यह कहा जाता है कि 'लव जिहाद' की उतपत्ति 2007 में गुजरात में एक केस से हुआ था परन्तु सबसे पहले 2009 में यह राष्ट्र पटल पर तब आया जब केरल और कर्नाटक की सरकारों ने यह कहा कि लगभग 4000 हिन्दू लड़कियों को प्रलोभन देकर मुस्लिम धर्म अपनाया जा रहा है और 2014 आते-आते जन-जन तक इसकी चर्चा तब होने लगी जब आरएसएस के एक द्विसाप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य' में 'लव जिहाद' पर एक लेख 'प्यार अंधा है या धंधा' आया। जिसमें यह लिखा गया कि 'एक मुस्लिम लड़का हिन्दू लड़की को स्कूल
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कोविड की लड़ाई में हम क्या कर सकते हैं?

 #भाग_1 कोविड से लड़ने में आज की सबसे बड़ी वैक्सीन है सामाजिक दूरी और मास्क। हमें इस कल्चर को जल्दी से जल्दी अपने हैबिट में अपना लेना चाहिए। अगर हम बात करे भारत की तो भारत में मनुष्य व मवेशियों को मिलाकर विश्व की कुल आबादी का 16% है, जिनको कोरोना होने का खतरा है। बल्कि हमारे देश का कुल भौगोलिक भाग विश्व के सापेक्ष केवल 2.5 प्रतिशत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की जनसंख्या घनत्व कितना अधिक होगा। हमें पता है हमारे देश की जनसंख्या बहुत है। जिसकी वजह से यह महामारी हमारे यहाँ विकराल रूप धारण करेगी। इसलिए अब हमें स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा जोर देने की आवश्यकता है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की अगर बात की जाए तो हालात बद से बदतर है। पश्चिमी देश जहाँ अपनी जीडीपी का 7-10 % हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करते हैं वही हम केवल 1% ही करते हैं। डब्लूएचओ के मानक के अनुसार प्रति 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए पर हमारे देश में अगर सरकारी और प्राइवेट दोनों डॉक्टर्स को मिला दे तब जाकर 1457 लोगों पर एक डॉक्टर हैं। यही हाल नर्सों का है। जल्दी जल्दी हमें इसे सुदृढ़ करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रो मे
ग्रहताक्षेकुण्ड कई ऐसी कहावते हैं कि भगवान विष्णु द्वारा बाराह अवतावर लेने की वजह से ही बाराबंकी जिले का नाम 'बाराबंकी' पड़ा। बाराबंकी मुख्यालय से लगभग 40 मील दूरी पर अयोध्या जिले से सटा सबसे पिछड़ा विकास खंड पुरेडलई है, जिसका मुख्यालय 'बरिनबाग' चौराहे पर स्थित है। बारिनबाग से दक्षिण लग्भग 6 किमी की दूरी पर उत्तर भारत की प्रचंड नदी घाघरा बहती है,जहां पवित्र स्थल मूर्तियहन घाट है, जो अपने कटान और चौड़ाई की वजह से जानी जाती है, यही आगे जाकर गोंडा में एक छोटे से कस्बे 'पशका' में सरयू से मिल जाती है, जहाँ से इसका नाम सरयू हो जाता है। और यही अयोध्या को मोक्षदायिनी सरयू है। बारिनबाग और घाघरा के बीच अंग्रेजी समय से एक तालुका रानीमऊ तराई है,जो कि अब इसी नाम से एक गांव है। जहाँ सड़क किनारे ही बहुत प्राचीन भक्त शिरोमणि श्री हनुमान जी की मंदिर है। यहाँ के लोगों में इसमें बहुत आस्था है। पुराने लोग ऐसा बताते हैं कि जब संत चैरासी कोसी परिक्रमा करने आते हैं तो इसके दर्शन करने आते है और एक-दो दिन इस जगह ठहरते हैं। उन्होंने इसका नाम "गृताक्षेकुंड" दिया है और

तो क्या भारत के अर्थव्यवस्था की विकास दर पड़ोसी देशों से भी नीचे गिर गई है ?

विगत कुछ महीनों से भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा है।  भारत के अर्थव्यवस्था की विकास दर पिछले एक दशक के सबसे निम्नतम स्तर पर हैं। लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के विकास की अनुमान दर घटा दी है। इस समय हम जीडीपी ग्रोथ के मामले में काफी पीछे हो चुके हैं। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सबसे निम्नतम स्तर पर थी जिससे हम विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा भी खो चुके हैं। एक समय जहां जीडीपी ग्रोथ 8.5 फीसदी तक पहुंच गई थी अब वह 5.5 फीसदी पर चल रही है। भारत में उद्योगों की हालत बहुत खस्ता है। बड़े उद्योगों से लेकर सूक्ष्म, लघु एवम मध्यम उद्योगों की हालत भी खराब है। ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी, कपड़ा व हीरा उद्योग बिल्कुल चरमरा गई हैं। हालत इतनी खस्ता है कि हमारा विकास दर पड़ोसी देशों से भी कम हो गया है। बांग्लादेश से पिछड़ा भारत। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को जीडीपी ग्रोथ के मामले में बांग्लादेश ने पीछे कर दिया है। इससे पहले एशियाई विकास बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था। ऐशियाई विकास

कैसा खोखला विकास है, विकास करने की सुगमता बढ़ी है परन्तु रोजगार कम हुए हैं।

जब 2014 में लोकसभा के आम चुनाव होने वाले थे और मोदी को राजग की तरफ से अपना प्रधानमंत्री कैंडिडेट घोषित किया गया था उस समय मोदी ने गुजरात मॉडल के आधार पर 'विकास' को 2014 लोकसभा आम चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा बनाया था और उसी मुद्दे से उनके नेतृत्व में राजग की जीत हुई थी। उस समय विकास एक अहम मुद्दा था। विकास मुद्दे की इतनी अधिक चर्चा हुई थी कि सोशल मीडिया पर मीम तक बनने लगे थे। कभी कहा जाता विकास एक माह का हो गया, कभी कहा जाता विकास दो माह का ही गया तो कभी कहा जाता विकास नौ माह का हो गया। मोदी विकास के नाम पर 2014 में प्रधानमंत्री बन गए। अपना पहला कार्यकाल पूरा भी कर लिया और 2019 के लोकसभा के  आम चुनाव में जीत भी हासिल कर ली और अभी भी प्रधानमंत्री हैं, तबसे अब तक छः वर्ष पूरे हो गए हैं और निरन्तर विकास हो रहा है। विकास की पराकाष्ठा यहाँ तक पहुँच गई है कि मोदी सरकार ने देश मे व्यापार करने सुगमता में लगभग आधे रैंक की कमी ला दी है। 2014 में भारत व्यापार सुगमता सूचकांक में 150 वीं रैंक के आसपास था और अभी हाल ही में आई रिपोर्ट में 63 वीं रैंक पर है, पिछले वर्ष की 79 वीं रैंक से उसने

आखिर क्यों 28 सदस्यीय यूरोपियन यूनियन का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर जा रहा है?

कश्मीर में लगातार तीन माह से चल रही पाबन्दियाँ देश के लोगों को ही नही बल्कि पूरे विश्व के लोगों को चुभ रही है। जिस तरीके से कुछ पत्रकारों ने अंतराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर फैलाई है कि मोदी सरकार कश्मीर की आवाम पर पाबन्दियाँ लगाकर उनका जीना हराम कर रही है और वहाँ पूरी तरह से मानवाधिकारों का उलंघन हो रहा है उससे अंतराष्ट्रीय जगत अभी संतुष्ट नही है। मानवाधिकार आयोग इस बात की कई बार आलोचना भी कर चुका है कि कश्मीरी आवाम के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से ही मोबाइल फोन सेवाओं, लैंडलाइन सेवाओं व इंटरनेट सेवाओं पर बिल्कुल रोक लगी पड़ी थी। अभी हाल ही में केवल लैंडलाइन सेवाओं का चालू किया गया है। धारा 370 हटने के बाद से ही वहाँ मीडिया को जाने की अनुमति नही थी कुछ दिन बाद केवल कुछ मीडिया को जाने की अनुमति दी गई। आज आई रिपोर्ट से भी यह खुलासा हुआ है कि पाबंदियों के चलते कश्मीर में तीन माह में लगभग 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। देश का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीमकोर्ट भी केंद्र सरकार से कह चुका है कि कश्मीर की पाबन्दियाँ समाप्त की जाएँ और वहाँ पहले की तरह सामा

क्या पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर के जरिये अपना खजाना भरने की फिराक में है ?

करतारपुर कॉरिडोर खोलने की बात बहुत दिनो से चल रही थी। जब नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे तब उन्होंने अपने बचाव में यही बात कही थी कि वो करतारपुर कॉरिडोर पर ही बात करने गए थे। भारतीय जनता पार्टी ने भी गुरुनानक जी के इस पवित्र स्थल को भारतीयों के लिए खोलवाना चाहती थी और इसके लिए पाकिस्तान से बात हुई। तमाम जद्दोजहद के बाद कल जाकर इस पर समझौता हो पाया है। मान्यताओं के अनुसार गुरुनानक जी 1522 में करतारपुर आये थे और उन्होंने अपने जीवन के 18 दिन यहीं बिताए थे। उनकी जिस जगह मौत हुई थी वहीं पर उनका गुरुद्वारा बनाया गया है। भारतीय सीमा से करतारपुर की दूरी महज 4.5 किमी है। अब तक भारतीय बीएसएफ की निगरानी में दूरबीन से करतारपुर का दर्शन करते थे। अब इस समझौते के तहत श्रद्धालु जाकर दर्शन कर सकेंगें। कल हुए समझौते के तहत भारत से किसी भी मजहब का श्रद्धालु बिना वीजा के यात्रा करने जा सकेगा। यात्रियों के लिए केवल पासपोर्ट व इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवेल ऑथोरिजेशन ( ईटीए ) की जरूरत होगी। अगर कोई श्रद्धालु पहले जत्थे में ही जाने का इच्छुक है वह जारी पोर्टल पर रेजिस्ट्र