Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2019

अमेरिका-ईरानी द्वंद्व में फसता भारत

अमेरिका-ईरानी द्वंद्व में फंसता भारत। जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे थे तभी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव लड़ते समय चुनावी मुद्दों में अपनी नीतियों की ओर इशारा कर दिया था। उसमे ईरान के साथ सम्बन्ध एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था। चुनाव होने के बाद जब डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा ईरान से किया गया परमाणु समझौता रद्द कर दिया और इस प्रकार धीरे-धीरे ईरान से अमेरिका के सम्बंध बिगड़ने लगे। कुछ दिन पहले ईरान ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अमेरिका ने उस पर साइबर अटैक किया है और उसकी सरकारी साइटों को हैक करने का प्रयास कर रहा है फलस्वरूप, ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया जो ईरान की जासूसी कर रहा था। इससे तिलमिलाए अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान पर आक्रमण की घोषणा भी कर दी थी परन्तु 10 मिनट पहले वापस ले लिया। परन्तु दोनों के मध्य द्वंद्व युद्ध छिढ गया गया है। दोनों के मध्य इस द्वंद्व युद्ध मे भारत पिसता नजर आ रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भारत पर ईरान से तेल लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत को ईरान

सोनभद्र घटना से सबक लेने की जरूरत :- भूमि सुधार कानूनों में अब भी सुधार की आवश्यकता।

सोनभद्र घटना से सबक लेने की जरूरत :- भूमि सुधार कानूनों में अब भी सुधार की आवश्यकता। पिछले दिनों सोनभद्र में हुए नरसंहार को देखकर सरकार को सबक ले लेना चाहिए और प्रशासनिक व्यवस्था को सुढृण करने के साथ-साथ भूमि सुधार कानूनों में सुधार करने की महती आवश्यकता है। क्योंकि जमीन हड़पने के सम्बन्ध में यह पहला अमानवीय कृत्य नही है अक्सर जमीन से सम्बंधित विवाद होते रहते है और उसके मालिकाना हक को लेकर आए दिन हिंसा होती रहती है। हमारी अदालतों में भी लंबित पड़े वादों में लगभग एक तिहाई हिस्सा भूमि और कृषि मामलों से सम्बंधित है। इसलिए सरकार को कोई ऐसा कदम उठाना चाहिए जिससे बिना हिंसा के जमीन से सम्बंधित मामले निपटाए जा सके। सोनभद्र के घोरावल तहसील के उम्भा गांव में आदिवासियों के साथ हुई हिंसा भी भूमाफियों और नौकरशाहों की करतूतों का ही परिणाम थी। मुख्य आरोपी यगदत्त जो कि प्रधान है, ने चकबन्दी अधिकारियों से साठगांठ करके वो जमीन हड़पने की कोशिश की थी। जांच में पता चला है कि एक स्थानीय भूमाफिया के कहने पर एक आईएएस अधिकारी ने लगभग 600 एकड़ जमीन की हेरफेर की थी और जिस जमीन के लिए ये घटना घटित हुई है वो भी

शोषण व लाचारी की पराकाष्ठा....

शोषण व लाचारी की पराकाष्ठा.... राज्यसभा में वंदना चव्हाण की डिबेट सुनते समय उस समय दिल पसीज उठा जब वंदना चव्हाण ने महाराष्ट्र के बीड़ जिले की घटना के बारे में बताया। उन्होंने देश का ध्यान महिलाओं पर हो रहे शोषण की ओर आकर्षित करते हुए बताया कि बेरोजगारी का मार झेल रही और अपना रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र के बीड़ में लगभग 4605 महिलाओं ने अपना गर्भाशय ही निकलवा दिया। एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र के केवल बीड़ जिले में रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से बीस से तीस वर्ष की लगभग 4605 महिलाओं ने अपना गर्भाशय निकलवा दिया। वहां के गन्ना ठेकेदारों का मानना है कि माहवारी के समय महिलाएं ठीक से काम नही कर पाती हैं इसलिए वो उन्ही महिलाओं को काम देते थे जिनको ये समस्या नही होती थी और अगर कोई महिला कार्मिक माहवारी की वजह से काम पर नही आती थी तो उसे 'काम में अड़चन' की वज़ह से प्रतिदिन 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता था। इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रारम्भ में केवल कुछ महिलाओं ने ही अपना गर्भाशय निकलवाया था लेकिन इनको आसानी से काम मिलने पर अन्य महिलाएं काम

कर्नाटक विधानसभा का संकट

कर्नाटक विधानसभा का संकट... किसको पता था कि इतिहास इतनी जल्दी दोहराया जाएगा। 2018 में जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और राज्यपाल वजूभाईवाला ने उसे ही सरकार बनाने का आमंत्रण दिया। पर कांग्रेस के 78 और टीडीएस के 37 विधायकों के गठबंधन ने राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए यह कहते हुए दावा पेश किया कि बहुमत हमारे पास है। और राज्यपाल द्वारा उन्हें न आमंत्रित करने पर इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट के आदेश पर येदुरप्पा सरकार को 15 दिन के भीतर विश्वास हासिल करना था जिसमे वो विफल रहे और सरकार गिर गई। फलस्वरूप एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई में कांग्रेस-टीडीएस की गठबंधन  की सरकार बनी। अभी 14 महीने ही बीते हैं इस सरकार को और कांग्रेस के पहले 11 और बाद में 4 बागी विधयकों ने विधानसभा अध्यक्ष को यह कहते हुए अपना त्यागपत्र सौंप दिया उनको इस सरकार की जनता के प्रति मंशा स्पष्ठ नही लगती। वे सब जाकर मुंबई के एक रिसोर्ट में शरण लिए हुए हैं। लेकिन अभी तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नही किया है। इससे साफ ज

जल की उपलब्धता और चुनौतियां

जल की उपलब्धता की चुनैतियाँ...! जब से मोदी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है उन्होंने स्पष्ठ कर दिया है कि जल संकट पर उनकी सरकार सतर्क हो चुकी है। इसीलिए उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय व जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय का विलय कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। और आम जनमानस से वादा भी किया है की 2024 तक सभी घरों को पीने के लिए स्वच्छ जल को पहुंचा देगा। यह प्रोजेक्ट सौभाग्य योजना से लगभग आठ गुना होगा। सौभाग्य योजना में लगभग 2.5 करोड़ घरो तक बिजली कनेक्शन पहुंचाया गया है पर इस नई योजना " नल से जल" से लगभग 19 करोड़ घरो को जल मुहैया कराना है। पर यह इतना आसान नही है सरकार को इतने कम समय मे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। लगभग एक साल इसके टेंडर आदि उठने में लग जाएंगे और बचे चार सालों में इतने विभिदता भरे देश में करना थोड़ा कठिन है पर असम्भव नही। क्योंकि जल राज्य सूची का विषय है तो कहीं कहीं राज्यो से इसके टकराव भी देखे जा सजते है मुखयतः उन राज्यों में जहाँ नदी विवाद हैं। केंद्र सरकार को इन बातों को ध्यान रखते हुए नीतियों को बना

गरीबी के मायने।

गरीबी के मायने...! हाल ही में सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिसिएटिव ने गरीबी पर एक सूचकांक जारी किया है। यह सूचकांक गरीबी के अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर तैयार किया गया है। जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, जल व जीवन की गुणवत्ता के आधार पर ही नही तय किया गया है बल्कि इस बार इन आवश्यकताओं की पहुंच के आधार पर तय किया गया है । जैसे किसी क्षेत्र में जल की उपलब्धता है तो शिक्षा की पहुंच नही है और किसी क्षेत्र विशेष में अधिक इन सुविधाओं की पहुंच है तो किसी क्षेत्र में नही। इसलिए उस क्षेत्र में पानी की उपलब्धता या हासिल करने की कठिनाई, शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल की दूरी, खाना पकाने में लिए कूकिंग गैस और जीवन स्तर में स्वच्छ्ता के महत्व के आधार पर शौचालयों का निर्माण आदि। इस आधार पर भारत 2006 से 2016 तक के दस वर्षों में विश्व मे सबसे अधिक गरीबी से मुक्त कराने वाला देश बना है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में हमारी सरकार ने काफी जनकल्याण योजनाएं चलाई हैं जो धरातल तक पहुंच सकी हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में ना