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जल की उपलब्धता और चुनौतियां

जल की उपलब्धता की चुनैतियाँ...!

जब से मोदी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है उन्होंने स्पष्ठ कर दिया है कि जल संकट पर उनकी सरकार सतर्क हो चुकी है। इसीलिए उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय व जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय का विलय कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। और आम जनमानस से वादा भी किया है की 2024 तक सभी घरों को पीने के लिए स्वच्छ जल को पहुंचा देगा। यह प्रोजेक्ट सौभाग्य योजना से लगभग आठ गुना होगा। सौभाग्य योजना में लगभग 2.5 करोड़ घरो तक बिजली कनेक्शन पहुंचाया गया है पर इस नई योजना " नल से जल" से लगभग 19 करोड़ घरो को जल मुहैया कराना है। पर यह इतना आसान नही है सरकार को इतने कम समय मे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। लगभग एक साल इसके टेंडर आदि उठने में लग जाएंगे और बचे चार सालों में इतने विभिदता भरे देश में करना थोड़ा कठिन है पर असम्भव नही। क्योंकि जल राज्य सूची का विषय है तो कहीं कहीं राज्यो से इसके टकराव भी देखे जा सजते है मुखयतः उन राज्यों में जहाँ नदी विवाद हैं। केंद्र सरकार को इन बातों को ध्यान रखते हुए नीतियों को बनाना होगा और उनका कार्यान्वयन करना होगा।

नीति आयोग ने एक अध्ययन से बताया है कि 2021 तक भारत के लगभग 21 महानगर सूख जाने के कगार पर है। हाल ही अभी न्यूज़ में चेन्नई को लेकर काफी चिंता व्यक्त की गई। उसकी लगभग 4 जलशयों का पानी सूखने के कगार पर है जिससे नगर में पानी सप्लाई होता है। यद्यपि 2003 में ही जयललिता की सरकार ने सभी बनने वाली नई इमारतों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य कर दिया था पर अभी तक उसका सही क्रियान्वन नही हो पा रहा। भारत की लगभग सभी नदियां सूखने की कगार पर है। उनका जल स्तर बहुत तेजी से गिर रहा है। दुनिया में जल उपलब्धता का मात्र 4 फीसदी हिस्सा ही भारत के पास है जबकि जमीन से जल दोहन करने में भारत विश्व मे अग्रणी देश है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत का लगभग 30% भूभाग रेगिस्तान होने की कगार पर है। कूओं का जलस्तर गिर रहा हूं। उनकी संख्या नाममात्र बची है। गावों के पोखरों, तालाबों व झीलों की हालात बहुत खस्ता है। इनके जल पीने लायक नही है। नगरों की झीलें भी खस्ता हालत में हैं उनके जलस्तर में पिछले एक दशक में काफी गिरावट आई है।

इसलिए जल शक्ति मंत्रालय को कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे और अगर सम्भव हो तो जल संरक्षण को लेकर कठोर कानून भी बनाये जाये और साथ मे कड़ाई से उनका क्रियान्वयन भी हो। यदि ऐसा करके हम 2024 तक तय लक्ष्य का 50% भी प्राप्त कर लेते हैं तो यह बहुत बड़ी कामयाबी होगी।

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